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चित्त के वे स्थिर मनोविकार जो विरोधी अथवा अविरोधी, प्रतिकूल अथवा अनुकूल दोनों प्रकार की स्थितियों को आत्मसात कर निरंतर बने रहे रहते हैं कहलाते हैं

स्थायी भाव