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दिवसावसान का समय मेघमय आसमान से उतर रही है वह संध्या सुन्दरी परी सी धीरे-धीरे-धीरे। इस पंक्ति के रचनाकार कौन हैं?

सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'