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हास्य रस का परिचयन है

हास्य रस का स्थायी भाव हास हे। इसका आलम्बन विलक्षण प्राणी या हंसी जगाने वाली वस्तु तथा आश्रय दर्शक है। इस रस के देवता प्रमथ है।