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कर्मवाच्य क्या है किसे कहते हैं

क्रिया के जिस रूप से वाक्य का उद्देश्य ‘कर्म’ प्रधान हो उसे कर्मवाच्य कहते हैं। जैसे- 1.भारत-पाक युद्ध में सहस्रों सैनिक मारे गए, 2.छात्रों द्वारा नाटक प्रस्तुत किया जा रहा है, 3.पुस्तक मेरे द्वारा पढ़ी गई, 4.बच्चों के द्वारा निबंध पढ़े गए = इन वाक्यों में क्रियाओं में ‘कर्म’ की प्रधानता दर्शाई गई है। उनकी रूप-रचना भी कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार हुई है। क्रिया के ऐसे रूप ‘कर्मवाच्य’ कहलाते हैं।