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मुझे तोड़ लेना वनमाली उस पथ में देना तुम फ़ेंक मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जावें वीर अनेक।। इस पंक्ति के रचयिता कौन हैं।?

माखन लाल चतुर्वेदी