रोद्र रस की परिभाषा दीजिए
रोद्र रस का स्थायी भाव क्रोध है। अपने विरोधी अशुभ चिंतक आदि की अनुचित चेष्टा से अपने अपमान अनिष्ठ आदि कारणों से क्रोध उत्पन्न होता है वह उद्दीपन विभाव, मुष्टि प्रहार अनुभाव और उग्रता संचारी भाव से मेल कर रोद्र रस बन जाता है।