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शांत रस की व्याख्या कीजिएि

शांत रस का विषय वैराग्य एवं स्थायी भाव निर्वेद है। संसार की अनित्यता एवं दुखों की अधिकता देखकर हृदय में विरक्ति उत्पन्न होती है। सांसारिक अनित्यता दर्शन आलम्बन और सजन संगति उद्दीपन विभाव है।