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वाच्य भावे प्रयोग क्या है किसे कहते हैं

कर्तरि वाच्य की सकर्मक क्रियाएँ, जब उनके कर्ता और कर्म दोनों विभक्तियुक्त हों तो वे ‘भावे प्रयोग’ के अंतर्गत आती हैं। इसी प्रकार भाववाच्य की सभी क्रियाएँ भी भावे प्रयोग में मानी जाती है। जैसे - 1.अनीता ने बेल को सींचा लड़कों ने पत्रों को देखा है 3. लड़कियों ने पुस्तकों को पढ़ा है 4.अब उससे चला नहीं जाता है = इन वाक्यों की क्रियाओं के लिंग, वचन और पुरुष न कर्ता के अनुसार हैं और न ही कर्म के अनुसार, अपितु वे एकवचन, पुल्लिंग और अन्य पुरुष हैं। इस प्रकार के ‘प्रयोग भावे’ प्रयोग कहलाते हैं।