वाच्य कर्मणि प्रयोग क्या है किसे कहते हैं
जब क्रिया कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुरूप हो तो वह ‘कर्मणि प्रयोग’ कहलाता है। जैसे- 1.उपन्यास मेरे द्वारा पढ़ा गया 2.छात्रों से निबंध लिखे गए 3.युद्ध में हजारों सैनिक मारे गए = इन वाक्यों में ‘उपन्यास’, ‘सैनिक’, कर्म कर्ता की स्थिति में हैं अतः उनकी प्रधानता है। इनमें क्रिया का रूप कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुरूप बदला है, अतः यहाँ ‘कर्मणि प्रयोग’ है।